तिब्बत में तैनात अपने सैनिकों की युद्धक्षमता बढ़ाने के लिए चीन ने कई ऑक्सीजन स्टेशन बनाए हैं। इनसे सैनिकों को ज्यादा ऊंचाई वाले इस इलाके में ऑक्सीजन की कमी से नहीं जूझना होगा। ज्यादा ऊंचाई पर सैनिकों को मस्तिष्क संबंधी बीमारी का खतरा बना रहता है जिसके इलाज के लिए चीन की आर्मी मेडिकल यूनिवर्सिटी हाई-प्रेशर ऑक्सीजन थेरेपी भी विकसित कर रही है। यह यूनिवर्सिटी भारत से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के समीप स्थित है।
कितनी भी ठंड में 15 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा नहीं रहेगा तापमान
चीन ने इसके साथ ही पिछले साल से तिब्बत में स्थित सैन्य बेस को पोर्टेबल बैरकों में तब्दील करना शुरू कर दिया है। कभी भी स्थानांतरित की जा सकने वाली इन बैरकों को खास तौर पर ज्यादा ऊंचाई वाले इलाकों के लिए ही डिजाइन किया गया है। कितनी भी ठंड होने पर इन बैरकों के अंदर का तापमान 15 डिग्री सेल्सियस तक रहेगा। जाल से ढकी इन बैरकों की पहचान आसानी से नहीं की जा सकती।
चीन अपनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के प्रशिक्षण और युद्ध संबंधी तैयारियों की जानकारी समय-समय पर देता रहता है। पीएलए के एक अखबार के अनुसार पिछले महीने चीन की स्पेशल फोर्स ने तिब्बत में अभ्यास किया था। उस दौरान हेलीकॉप्टर पॉयलटों को भी ट्रेनिंग दी गई थी।
भारत और चीन के बीच पिछले साल हुए डोकलाम विवाद के बाद गत जून में तिब्बत में तैनात चीनी सैनिकों ने अपने हथियारों को परखने के लिए पहली बार अभ्यास किया था।
एक रिपोर्ट के अनुसार चीन अरुणाचल प्रदेश से सटे तिब्बती इलाके में एक स्वचालित मौसम अवलोकन स्टेशन भी स्थापित करने जा रहा है। इसकी मदद से उसे लड़ाकू विमानों की उड़ान और मिसाइल लांचिंग के लिए मौसम की सटीक जानकारी मिलेगी।