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Durga Puja: अब दुर्गा पूजा में भी ‘खेला होबे’ की धूम, कल से बंगाल-यूपी में शुरू हो रही दूर्गा पूजा

Durga Pooja 2021 : पश्चिम बंगाल का दुर्गा पूजा विश्व प्रसिद्ध है. आज महापंचमी के साथ ही कोलकाता के पूजा पंडाल सज गए हैं और लोगों में पूजा पंडाल को लेकर विशेष उत्साह है. राज्य के दुर्गा पूजा पंडाल में अगल अगल थीम देखने को मिलती है.

बता दें कि, कहीं पर दुर्गा पंडाल के जरिए युवाओं को किताब पढ़ने के लिए प्रेरित किया जा रहा है तो कहीं पर लोगों को पौधारोपण के लिए जागरूक कर रहा है, तो कहीं विश्व की सबसे बड़ी इमारत बुर्ज खलीफा लोगों को लुभा रही है, तो कहीं मां दुर्गा सोने की साड़ी पहनी हुई हैं.

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इस साल कोरोना महामारी के बीच दूसरी ओर पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा हो रही है. राज्य सरकार ने कोरोना महामारी के मद्देनजर पूजा पंडालों के लिए विशेष निर्देश जारी किए हैं, हालांकि कोरोना के मामलों में कमी के कारण हाईकोर्ट ने कोरोना प्रोटोकॉल के पालन के साथ-साथ कुछ रियायत देने की भी ऐलान किया है.

पश्चिम बंगाल पुनर्जागरण के 200 साल पूरे करने के लिए, बाबूबागान सार्वजनिन दुर्गोत्सव समिति ने दक्षिण कोलकाता में एक पुस्तकालय के रूप में अपना दुर्गा पूजा पंडाल डिजाइन किया है, जिसमें आंदोलन से संबंधित प्रमुख आंकड़े और किताबें प्रदर्शित हैं.

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कोलकाता में बाबूबागान सार्वजनिन दुर्गोत्सव समिति की कोषाध्‍यक्ष सुजाता गुप्ता ने कहा कि, हम युवा पीढ़ी को इन किताबों को पढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहते हैं. इस पंडाल में 200 से अधिक श्रमिकों ने 2 महीने तक काम किया और इसकी लागत लगभग 30 लाख रुपये है.

पौधारोपण को लेकर जागरूकता फैला रहा है पूजा पंडाल

सुरक्षित और स्वस्थ जीवन के लिए बीरभूम में एक दुर्गा पंडाल पौधारोपण के लिए लोगों में जागरूकता फैला रहा है. पंडाल के पिनाकी लाल ने बताया, “हमको कोरोना की दूसरी लहर ने ऑक्सीजन का महत्व समझाया है. इस पंडाल के माध्यम से हम लोगों को पौधारोपण का महत्व समझा रहे हैं.

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माइग्रेशन की थीम पर बनाया गया है पंडाल

कोलकाता स्थित ‘नकतला उदयन संघ’ क्लब ने अपने दुर्गा पूजा पंडाल को माइग्रेशन की थीम दी है. क्लब के सदस्य सम्राट नंदी ने कहा, हमने बड़े पैमाने पर विभाजन और उसके बाद की स्थिति पर लोगों का ध्यान केंद्रित किया है.

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मां के स्पर्श को दर्शा रहा है पंडाल

पश्चिम बंगाल की दुर्गा पूजा पंडाल ‘मेयर छोवा’ (माँ का स्पर्श) पर आधारित है, जिसमें हमारे जीवन में माताओं की भूमिका को दर्शाया गया है, इसकी तुलना मां दुर्गा से की गई है. पंडाल सचिव सुजीत रॉय ने कहा, घर के कामों से लेकर बच्चों की देखभाल तक, हमने एक मां के बहुमुखी व्यक्तित्व को चित्रित करने की कोशिश की है.

सुजीत रॉय ने कहा कि, हमने पंडाल को सजाने के लिए पारंपरिक बंगाली चूड़ी का इस्तेमाल किया है. इसे विवाहित बंगाली महिलाएं पहनती हैं. इस विषय के माध्यम से, हम यह बताना चाहते हैं कि माँ और दुर्गा माँ दोनों संकट और COVID के समय में अपने बच्चों की रक्षा करती हैं.

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‘खेला होबे’ के नारे पर बना है पंडाल

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान और चुनाव बाद ‘खूब धूम’ मची थी. अब दुर्गा पूजा के दौरान भी ‘खेला होबे’ की धूम दिखाई दे रही है. चाहे चुनावी मौसम हो या त्योहारों का सीजन, अब हर जगह ‘खेला होबे’ ही सुनाई या दिखाई देने लगा है.

बंगाल के पंडालों में राजनीति की भी झलक देखने को मिल रही है. बंगाल में ‘खेला होबे’ की थीम पर पंडाल डिजाइन किए गए हैं, जिसे देखने के लिए लोग उमड़ रहे हैं. अभी नवरात्र का समय है और बंगाल के दुर्गा पंडालों में भक्तों की भीड़ उमड़ने लगी है.

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राज्य में त्योहार शुरू होने से पहले ही लोगों ने बड़ी संख्या में दुर्गा पूजा पंडालों में जाना शुरू कर दिया है, जिससे संक्रमण के प्रसार को लेकर चिंता बढ़ गई है.

कल से होगी दुर्गा पूजा

राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से कोरोना वायरस संक्रमण के मद्देनजर एहतियाती कदम उठाने और घर में ही त्योहार मनाने का आग्रह किया है। पिछले कुछ दिनों में कोलकाता और उसके आसपास बड़ी संख्या में लोगों को बड़े पंडालों में जाते देखा गया, हालांकि वास्तविक पूजा सोमवार यानी कल से शुरू होगी. इस बीच, सीएम ममता बनर्जी ने ट्वीट कर शुभकामनाएं दी हैं.

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देशभर में मां भवानी के नौ स्वरूपों के पूजन के पर्व नवरात्र धूमधाम से मनाया जा रहा है। वहीं कल से दुर्गा पूजा शुरू हो रही है। जिसकी सभी लोग तैयारियां कर रहे हैं। कोरोना संक्रमण की गाइडलाइन का पालन कर दुर्गा पूजा पंडाल तैयार किए गए हैं।

बंगाली क्लब की दुर्गा पूजा इस बार खास होगी

राजधानी लखनऊ के सबसे पुरानी बंगाली क्लब की दुर्गा पूजा इस बार खास होगी। बंगाली क्लब बंगाली समाज का सबसे प्रतिष्ठित और पुराना क्लब है। बंगाली समाज के लोगों के लिए बनाया गया ये क्लब लाटूश रोड पर स्थापित है। बंगाली भाषा के साथ समाज के विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम होते है। जिसमें दुर्गा पूजा सबसे खास आयोजन है।

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1914 में शुरू हुई थी दुर्गा पूजा

बंगाली क्लब में वर्ष 1914 में दुर्गा पूजा शुरू हुई थी। क्लब के अध्यक्ष अरुण बैनर्जी ने बताया कि, इंजीनियर अतुल कृष्ण सिन्हा ने यहां पर दुर्गा पूजा शुरू कराई। कोलकाता के शिवपुर इंजीनियरिंग कॉलेज से पढ़कर लखनऊ नौकरी करने आए थे, उन्होंने पूजा करने की परंपरा शुरू की। उसके बाद से ही निरंतर ये पूजा होती चली आ रही है।

आपसी सहयोग से होता है आयोजन

अरुण बैनर्जी ने बताया कि, क्लब के सभी पदाधिकारी, सदस्य और क्षेत्र के गणमान्य लोगों के आर्थिक सहयोग के आयोजन बड़ी भव्यता के साथ किया जाता है। इसमें हिंदू मुस्लिम सभी समुदाय के लोग शामिल है।

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कोलकाता में दुर्गा पूजा पंडाल में लखीमपुर घटना की झलक

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में किसानों पर हुए हिंसा के जवाब में दमदम पार्क भारत चक्र समिति ने अपने दुर्गा पंडाल की थीम किसानों को समर्पित की है.उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में किसानों पर गाड़ी चढ़ाने की घटना को दुर्गा पूजा के पंडाल में खास तरीके से दिखाया गया है. दीवार पर घटना की पेंटिंग कर दी गई है.

पंडाल की ओर के रस्ते में दीवार पर चित्रों के ज़रिए किसानों की हालत दिखाई गई है. दीवारों पर बंगाली और अंग्रेजी में विरोध के विभिन्न नारों को दर्शाया गया है. पंडाल में ब्रिटिश काल के अलावा पिछले 100 सालों में किसानों पर हुए अत्याचार को भी दिखाया गया है. पंडाल के प्रवेश द्वार पर एक बड़ा ट्रैक्टर है, जिसके दो पंख हैं, जिसका अर्थ है कि किसी भी अन्य पेशे की तरह, खेती के पेशे को भी महत्व और सम्मान दिया जाना चाहिए.

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दम दम पार्क भारत चक्र समिति के खेल सचिव जॉयदीप दास ने कहा कि, डॉक्टरों या इंजीनियरों या किसी अन्य पेशे के लिए हमारे पास एक उच्च पद, उच्च कद, एक उच्च स्थान है, जहां हम जाना चाहते हैं, जिसे हम प्राप्त करना चाहते हैं, तो हम अपने किसानों, खेती के पेशे से जुड़े सभी लोगों के लिए वहीं चाहते हैं.

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